'नेताजी संबंधी जानकारी सार्वजनिक करें'
दिल्ली स्थित ‘मिशन नेताजी’ नामक संगठन ने ये याचिका दायर की थी
केंद्रीय सूचना आयोग (सीआईसी) ने गृह मंत्रालय को नेता जी सुभाष चंद्र बोस की 1945 में विमान हादसे में हुई मौत की जांच से संबंधित दस्तावेज़ तीन महीने के भीतर सार्वजनिक करने को कहा है.
मुख्य सूचना आयुक्त वजाहत हबीबुल्ला की अध्यक्षता में सीआईसी ने गुरूवार को गृह मंत्रालय के इस दावे को बिल्कुल निराधार करार दिया कि इन दस्तावेज़ों को सार्वजनिक किया गया तो इससे देश में अस्थिरता का माहौल फैल सकता है.
'कोरी कल्पना'
सीआईसी ने अपने 20 पन्नों के आदेश में कहा - "अब तक इन दस्तावेज़ों की संवेदनशीलता को लेकर कोई व्यापक अध्ययन नहीं किया गया है इसलिए मंत्रालय की यह दलील कोरी कल्पना लगती है कि दस्तावेज़ों को सार्वजनिक करने से गंभीर कानून-व्यवस्था की समस्या उत्पन्न हो सकती है."
सीआईसी का यह निर्णय दिल्ली स्थित ‘मिशन नेता जी’ नामक संगठन के सदस्य सायंतन दासगुप्ता की याचिका पर आया है.
अब तक इन दस्तावेज़ों की संवेदनशीलता को लेकर कोई व्यापक अध्ययन नहीं किया गया है इसलिए मंत्रालय की यह दलील कोरी कल्पना लगती है कि दस्तावेज़ों को सार्वजनिक करने से गंभीर कानून -व्यवस्था की स्थिति उत्पन्न हो सकती है
केंद्रीय सूचना आयोग
दासगुप्ता ने ताइवान में विमान दर्घटना में हुई नेताजी की कथित मौत के मामले की जांच के लिए गठित शाहनवाज़ समिति (1956) और जीडी खोसला आयोग (1970-74) की रिपोर्टों को सार्वजनिक करने की मांग की थी.
हाल के मुख़र्जी आयोग ने पिछली रिपोर्टों से असहमति जताई थी.
सीआईसी ने अपने आदेश में गृह मंत्रालय को ये छूट दे दी है कि यदि अध्ययन के बाद वह पाए कि कुछ दस्तावेज़ देश की एकता और संप्रभुता को नुकसान पहुंचा सकते हैं तो वह उन्हें सार्वजनिक न करे.
आयोग ने यह भी कहा कि मंत्रालय को ऐसे दस्तावेज़ों को सार्वज़निक न करने का कारण 30 सितंबर तक बताना होगा.
दासगुप्ता ने 22 जून 2006 को गृह मंत्रालय के समक्ष प्रस्तुत एक प्रार्थना पत्र में उन दस्तावेजों को सार्वजनिक करने की मांग की थी जिनके आधार पर शाहनवाज़ समिति और खोसला आयोग 1945 में नेता जी की विमान हादसे में मौत संबंधी निष्कर्ष पर पहुँचे थे।
साभार बी बी सी
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