Monday, 14 January 2008

ग़ालिब

ग़ालिब का ज़माना मिर्जा़ असद उल्लाह खाँ ‘ग़ालिब’ 27 दिसंबर 1797 को पैदा हुए। सितंबर, 1796 में फ्रांसीसी- पर्दों- जो अपनी क़िस्मत आज़माने हिन्दुस्तान आया था दौलत राव सिंधिया की ‘शाही फ़ौज’ का सिपहसालार बना दिया गया। इस हैसियत से वह हिन्दुस्तान का गवर्नर भी था। उसने देहली का मुसासरा करके1 उसे फ़तह2 कर लिया था, और अपने एक ‘कमांडर- ले मारशां- को शहर का गवर्नर और शाह आलम का मुहाफ़िज़3 मुक़र्रर4 किया। उसके बाद उसके आगरा पर क़ब्जा किया। अब शुमाली5 हिन्दुस्तान में उसके मुक़ाबले का कोई नहीं था, और उसकी हुकूमत एक इलाके पर थी जिसकी सालामा माल गुज़ारी6 दस लाख पाउंड से ज़्यादा थी। वह अलीगढ के क़रीब एक महल में शाहाना7 शानो-शौकत8 से पहता था। यहीं से वह राजाओं के नाम अहकामात9 जारी करता और बग़ैर किसी मदाख़लत10 के चंबल के समतल तक अपना हुक्म चालाता था। 15 सितंबर, 1803 ई० को जनरल लेख सिंधिया के एक सरदार बोगी ईं को शिकस्त11 देकर फ़ातेहाना12 अंदाज में दहेली में दाख़िल हुआ। बोगी ई का कुछ अर्से तक शहर में कब्ज़ा रह चुका था और उसने इस अंग्रेजों के लिए खाली करने से पहले बहुत एहतेमाम13 से लूटा था। जनरल लेक शहंशाह की ख़िदमत में हाज़िर हुआ उसे बड़े-बड़े खिताब14 दिए गए और शाह आलम और उसके जा-नशीन15 ईस्ट इंडिया कम्पनी के वज़ीफ़ा-ख़्वार16 हो गए।

Saturday, 12 January 2008

पहाड- पर पहाड-
बताया गया
कोशिश चल रही थी
समाजवाद लाने की
बिगुल बने
अशव सजे माच् फ*ट हुए
कदम मिलने पर
तालिया बजी
पर आंखे खाुली
तो बस बाजार थे
दुखाों के पहाड
दो दुनी चार थे।एक कॉमरेड का भाषण
आज की बेवास्थ पर अर्ज
तम्तमय हुआ चहरे
aloka

Thursday, 3 January 2008



सुनिधि चौहान के साथ 'एक मुलाकात'
बीबीसी हिंदी सेवा के विशेष कार्यक्रम 'एक मुलाकात' में हम भारत के जाने-माने लोगों की जिंदगी के अनछुए पहलुओं से आपको अवगत कराते हैं। एक मुलाकात में हमारी मेहमान हैं आज के दौर की बहुत ही सफल पार्श्व गायिका सुनिधि चौहान।* आप तो इतनी कम उम्र की लग रही हैं, मैंने ऐसा सुना है कि आप बहुत छोटी उम्र से गाने गा रही हैं।
मैने चार साल की उम्र से गाना शुरू कर दिया था। लेकिन फिल्मों में 11 साल की उम्र में गाना शुरू किया।* आपको कब पता लगा कि आप गा सकती है?
मैं तो डांस में अधिक रुचि लेती थी। लेकिन मेरे मम्मी-पापा और उनके दोस्तों को लगा कि मैं अपनी गायकी में निखार लाकर अच्छी गायिका बन सकती हूँ। मेरी मम्मी-पापा ने बहुत मेहनत की।* आपने सबसे पहले कहाँ गाया?
सबसे पहले मैंने एक जागरण में गाया था। माता के सम्मान में दो गाने गाए थे। वहीं से लोगों को लगने लगा कि मुझे दूसरी जगहों पर भी गाना चाहिए। इस तरह मेरी माँग बढ़ती गई। जब कोई बड़े समारोह होते और उसमें बड़े स्टार आते तो मैं दिल्ली की तरफ से गाने वाले गायकों में होती। इन लोगों में मेरी ही उम्र सबसे कम होती थी। इस तरह मेरा काम के रोमांचक शुरुआत हुई।* फिल्मों में गाना कब शुरू हुआ?
मैं मुंबई गई थी। वहाँ तबस्सुम जी ने मुझे कल्याणजी भाई से मिलवाया। मैंने उनकी अकादमी में डेढ़-दो साल संगीत सीखा और उस दौरान कई शोज किए। फिर कल्याणजी भाई ने मुझे फिल्म फेयर पुरस्कार समारोह में गाने का मौका दिया, जहाँ आदेश श्रीवास्तवजी की नजर मुझ पर पड़ी और उन्होंने मुझे फिल्मों में काम दिया।* मैंने ऐसा भी सुना है कि आप किसी टीवी शो में भी जीती थीं। ये फिल्म में गाने से पहले था कि बाद में?
पहले, इसके बाद दो-तीन साल मैंने कुछ अधिक नहीं किया। क्योंकि मेरी आवाज न बड़े जैसी थी न छोटे बच्चे जैसी। बस कुछ आलाप किए थे। तभी पता लगा कि डीडी वन टीवी चैनल पर एक टैलेंट हंट शुरू हो रहा है जिसके फाइनल में लताजी का आना होगा। मैं लता जी को आज भी पूजती हूँ। मैं उनसे मिलकर, उन्हें छूकर महसूस करना चाहती थी कि कैसा लगता है। मैंने उस कार्यक्रम में लताजी की वजह से उसमें हिस्सा लिया और प्रतियोगिता जीत भी ली। लताजी के हाथों पुरस्कार लिया।* तो आपने उन्हें छुआ?
मैंने उनसे पूछा कि क्या मैं आपको छू सकती हूँ और फिर उन्हें छुआ। मेरी आँखों में आँसू आ गए। उन्होंने मेरे आँसू पोछें और कहा कि जब कभी भी कोई जरूरत हो तो मुझे बताना।* निधि से सुनिधि कैसे हुआ आपका नाम?
कल्याण जी भाई के अकादमी से जो भी लोग निकले सबका नाम ‘स’ से शुरू होता था जैसे साधना सरगम, सोनाली वाजपेयी, सपना मुखर्जी। मेरा नाम भी निधि से सुनिधि चौहान हो गया। संगीत भी ‘स’ से शुरू होता है और सरगम भी ‘स’ से शुरू होती है।* आपकी पसंद का एक गाना बताएँ।नई नहीं ये बातें हैं पुरानी कैसी पहली है जिंदगानी....

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सुनिधि चौहान के साथ 'एक मुलाकात'
बीबीसी हिंदी सेवा के विशेष कार्यक्रम 'एक मुलाकात' में हम भारत के जाने-माने लोगों की जिंदगी के अनछुए पहलुओं से आपको अवगत कराते हैं। एक मुलाकात में हमारी मेहमान हैं आज के दौर की बहुत ही सफल पार्श्व गायिका सुनिधि चौहान।* आप तो इतनी कम उम्र की लग रही हैं, मैंने ऐसा सुना है कि आप बहुत छोटी उम्र से गाने गा रही हैं।
मैने चार साल की उम्र से गाना शुरू कर दिया था। लेकिन फिल्मों में 11 साल की उम्र में गाना शुरू किया।* आपको कब पता लगा कि आप गा सकती है?
मैं तो डांस में अधिक रुचि लेती थी। लेकिन मेरे मम्मी-पापा और उनके दोस्तों को लगा कि मैं अपनी गायकी में निखार लाकर अच्छी गायिका बन सकती हूँ। मेरी मम्मी-पापा ने बहुत मेहनत की।* आपने सबसे पहले कहाँ गाया?
सबसे पहले मैंने एक जागरण में गाया था। माता के सम्मान में दो गाने गाए थे। वहीं से लोगों को लगने लगा कि मुझे दूसरी जगहों पर भी गाना चाहिए। इस तरह मेरी माँग बढ़ती गई। जब कोई बड़े समारोह होते और उसमें बड़े स्टार आते तो मैं दिल्ली की तरफ से गाने वाले गायकों में होती। इन लोगों में मेरी ही उम्र सबसे कम होती थी। इस तरह मेरा काम के रोमांचक शुरुआत हुई।* फिल्मों में गाना कब शुरू हुआ?
मैं मुंबई गई थी। वहाँ तबस्सुम जी ने मुझे कल्याणजी भाई से मिलवाया। मैंने उनकी अकादमी में डेढ़-दो साल संगीत सीखा और उस दौरान कई शोज किए। फिर कल्याणजी भाई ने मुझे फिल्म फेयर पुरस्कार समारोह में गाने का मौका दिया, जहाँ आदेश श्रीवास्तवजी की नजर मुझ पर पड़ी और उन्होंने मुझे फिल्मों में काम दिया।* मैंने ऐसा भी सुना है कि आप किसी टीवी शो में भी जीती थीं। ये फिल्म में गाने से पहले था कि बाद में?
पहले, इसके बाद दो-तीन साल मैंने कुछ अधिक नहीं किया। क्योंकि मेरी आवाज न बड़े जैसी थी न छोटे बच्चे जैसी। बस कुछ आलाप किए थे। तभी पता लगा कि डीडी वन टीवी चैनल पर एक टैलेंट हंट शुरू हो रहा है जिसके फाइनल में लताजी का आना होगा। मैं लता जी को आज भी पूजती हूँ। मैं उनसे मिलकर, उन्हें छूकर महसूस करना चाहती थी कि कैसा लगता है। मैंने उस कार्यक्रम में लताजी की वजह से उसमें हिस्सा लिया और प्रतियोगिता जीत भी ली। लताजी के हाथों पुरस्कार लिया।* तो आपने उन्हें छुआ?
मैंने उनसे पूछा कि क्या मैं आपको छू सकती हूँ और फिर उन्हें छुआ। मेरी आँखों में आँसू आ गए। उन्होंने मेरे आँसू पोछें और कहा कि जब कभी भी कोई जरूरत हो तो मुझे बताना।* निधि से सुनिधि कैसे हुआ आपका नाम?
कल्याण जी भाई के अकादमी से जो भी लोग निकले सबका नाम ‘स’ से शुरू होता था जैसे साधना सरगम, सोनाली वाजपेयी, सपना मुखर्जी। मेरा नाम भी निधि से सुनिधि चौहान हो गया। संगीत भी ‘स’ से शुरू होता है और सरगम भी ‘स’ से शुरू होती है।* आपकी पसंद का एक गाना बताएँ।नई नहीं ये बातें हैं पुरानी कैसी पहली है जिंदगानी....Source : www.bbchindi.com
* आपका पहला हिट गाना राम गोपाल वर्मा की फिल्म ‘मस्त’ से था।
हाँ, रामगोपाल वर्मा की फिल्म थी, संदीप चौटा जी का संगीत था। उनसे मुझे सोनू निगम ने मिलवाया था। उससे पहले हीं कुछ भी नहीं थी। इस फिल्म से मेरी पहचान बनी।* आदेश श्रीवास्तव ने कौन सा गाना गवाया था?
‘शस्त्र’ फिल्म का गाना था लड़की दीवानी, देखो लड़का दीवाना...लेकिन गाना चल नहीं पाया।
* अपने काम में मेहनत के अलावा और क्या जरूरी है?फोकस, आपको पता होना चाहिए कि आप क्या कर रहे हैं।* आप कहाँ फोकस कर रही हैं?
गायकी पर, मैं बीच में भागती रहती हूँ, लेकिन मेरा फोकस गायकी में बना रहता है। यही मेरी जिंदगी और प्यार है। मेरा वजूद ही संगीत है। अगर मैं गायिका नहीं होती तो भी गायिका होती। बस छोटी गायिका होती।
* कोई ऐसा गाना जो किसी और ने गाया हो और आप गाना चाहती हूँ?
फिल्म ‘ओंकारा’ का गाना है जो रेखा भारद्वाज ने गाया था। लाकड़ जलकर कोयला होय जाए जिया जले तो कुछ न होय न कोयला न राख..जिया न जलइयो रे...* सोनू निगम के अलावा पुरुष गायकों में से आपको सबसे अधिक पसंद कौन है?
केके बहुत पसंद है। शान के कुछ गाने हैं। रूप कुमार राठौर भी अच्छा गाते हैं। उनका अनवर का मौला...गाना बहुत अच्छा था। सुखविंदर को मैं कैसे भूल सकती हूँ।* जिंदगी के रोमांचक पलन्यूयॉर्क के एक शो में अमिताभजी के पहले मेरा कार्यक्रम था। मैंने गाना गाया तो लोगों ने खड़े होकर मुझे सम्मान दिया था। उसके बाद अमिताभजी आए और मुझे गोदी में उठा लिया और कहा अब हम क्या करें भाई, इस लड़की ने तो हम सबकी छुट्टी कर दी और दूसरी बार जब लताजी के हाथों मुझे सम्मान मिला।* आपको कोई ऐसा प्रशंसक मिला है जो आपको और आपकी गायकी को पागलपन की हद तक पसंद करता हो?
एक आदमी है। उसे वो सबकुछ मालूम है मेरे बारे में जो मुझे भी नहीं मालूम। उसे मेरे हर शो के बारे में पता है। उसे ये भी पता है कि मैंने किसी शो में कौन से कपड़े पहने थे और कौन सी लिपिस्टिक लगा रखी थी। ऐसे प्रशंसक होना बड़ी बात है।


मशहूर गायिका आबिदा परवीन कहती हैं कि संगीत में वो ताक़त होती है कि वह सरहदों को भी जोड़ सकती है. वह मानती हैं कि राजनीति और मजहब ने जो खाइयाँ पैदा की हैं उसे भी संगीत पाट सकती है...