अलोका और फहरद
दो यारों की जुबानी।
फकत कहते है।
दर्द ए हेयात की कहानी
डुबी हुई कस्तियां
ढ़ढती है अपनी ही कहानी।
गम इस दिल में लगाया।
अपने ही दर्द को सहलाया ।
अपने डुबे कस्ती को उठाया।
संसार डिगा न सका।
दोनो यारो की वफा कि निशानी
इस दिल में हैं इतनी जगहा।
जिसमें समा सकता है दो।
यारो कि वफा
जिसमे होगी ।
ज्जबात की कहानी।
दो यारो की जुबानी।
Monday, 25 August 2008
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