Aलोक
स्ंार्धष का एक नाम था महेन्द्र सिंह
तूफानों की तरह उठंती थी
विधानसभा में उनकी आवाज
एक मकसद का तोहफा
जनता के लिए हुआ करता था।
हर इंंसान स्त्रीं बच्चे को इंताजर हो गया
एक राज्य स्वतंत्रत रूप से जनता ने बनाया
अपने मकसद को पाते हुए
देखे गरीब गुरबा दुःखी
तमन्ना मन में उजाले के साथ
रौ’ान कर जाने को था।
ेेविकास के मोडॅल पर प्र’न करने
कोई ना बचा
Wednesday, 27 August 2008
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