Wednesday, 27 August 2008

मैने देखी एक आजादी।

Aलोक

झाड़खण्ड राज बन गया।
मन खिल गया।
कैसा होगा।
कल का सूरज
पूरब के आकाश में
झाड़खण्ड के घर-घर
कोना कोना।
दिख रहा आज सूरज।
झाड़खण्ड के आकाश में
गांव घर अंधकार
न बिजली बत्ती।
मिट्टी के तेल का आकाल
स्कुल में मास्टर का अभाव
अस्पताल से डाक्टर लापता
कौन लेगा यह भार
विचार सब जानते है।
लगाना है लगाम
जो नही लगा
वही नेता कर रहा है राज
झाड़खण्ड को बेच
भुला दिया बिरसा क उलगुलान
उठो जागो झाड़खण्डी
विचारों का राह पकडों
जात- पात छोडो
बिरसा की राह पकड़ो
एक नया विचार
पैदा तुम करों

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