Monday, 25 August 2008
सन्नाटा अलोका
1सन्नाटा पसरा उस रात ।
थम गयी हो खमोशी
जैसे नरेंद्र मोदी का गुजरात।
दिसंबर की रात,
था घुप अंधेरा
च्ेाहरे पर था कई चेहरा
2लम्बे समय तक सिर्फ
खौफ, खमोशी और सन्नाटा
काली रात भी विलखती रही
सड़कों पर न जाने क्या-क्या सुलगती रही
हां, था
वो हमारा गुजरात
सन्नाटे में जलती रही रात3चीख औरतों की
बच्चे गुम हुए औरतों की
सूरज भी बिलखता रहा
और
मां की लाश पे’ सिसक कर
सो गया माहताब
हां वही था
हमारा गुजरात
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