अलोका और फरहद
एक लम्बे इन्तजार के बाद
मिले है हम दोनो
दर्द भरे नगमो के साथ
इसमें ढ़ढते है दो पल खुशियां
खिल उठाता है चमन अपना
एक लम्बे इन्तजार के बाद
सिसकते अरमान को बाटते हम
टुटे फुटे शब्दो के साथ
सुनहरे ख्वाब सजाते है हम
टुटे हुए सितारों के साथ
ये पल अभी अपना है
कल का पल अपना हो ना हो
इस लम्हा को कैद कर लेते
हम दोनो
अपने डायरी और कलमो के साथ
2 comments:
bahoot khoob
बहुत ही अच्छी रचना.
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